अध्याय |
पठण केल्याने फल |
अध्याय |
पठण केल्याने फल |
1 |
घरात शांती नांदते सुखाची प्राप्ति |
28 |
विवाह अनुकूल व शीघ्र होण्यास |
2 |
मन:क्लेश निवारण |
29 |
पितृ देवतांचे आशिर्वाद |
3 |
नागदोष निवारण, संतान-प्रतिबंधक-दोष निवारण |
30 |
उज्वल भविष्य होण्यास |
4 |
मुलीना योग्य वर प्राप्ति, गुरुनिन्दा-दोष-निवारण |
31 |
विद्या, ऐश्वर्य यांची प्राप्ती |
5 |
विघ्न दूर होण्यास, देवता कोपापासून मुक्ती |
32 |
सद्गुरु कृपाकटाक्ष प्राप्ति साठी |
6 |
पितृ शापापसून निवृत्ती |
33 |
अनुकुल विवाह होण्यास |
7 |
अज्ञान निवृत्ती, विवेक प्राप्ति |
34 |
ऋण मोचानासाठी |
8 |
संतानप्राप्ती, लक्ष्मी-कृपा-कटाक्ष लाभ |
35 |
वाक्सिध्दी साठी |
9 |
प्रारब्ध-कर्म-नाश |
36 |
अनुकूल दाम्पत्य जीवना साठी |
10 |
दौर्भाग्य-नाश |
37 |
जीवनात स्थैर्य |
11 |
दुर्गुणापासून मुक्ती |
38 |
आत्मस्थैर्य |
12 |
शरीरारोग्य प्राप्ति |
39 |
सर्प दोष-निवारण |
13 |
यवसाय वृद्धी, पशु- वृद्धी |
40 |
असाध्य कार्यात यश मिळण्या साठी |
14 |
आपदा-निवारण, उत्साह- वृद्धी |
41 |
लोकनिन्दा-परिहारार्थ |
15 |
अकारण कलह निवारण, पूर्व जन्म कृत दोष निवारण |
42 |
हरवलेले मूल सापडण्यास |
16 |
धनाकर्षण- शक्ती - वृद्धी |
43 |
अष्टैश्वर्य प्राप्ति साठी |
17 |
सिध्द पुरुषांचे आशिर्वाद |
44 |
उज्वल भविष्या साठी |
18 |
पापकर्मांचा नाश, भाग्य वृद्धी |
45 |
सर्व क्षेत्रात वृद्धी |
19 |
मानसिक क्लेश निवारण |
46 |
त्वरित विवाह साठी |
20 |
कष्ट-नष्ट-निवारण |
47 |
सर्व शुभफल मिळण्यास |
21 |
अध्यात्मिक लाभ, पुण्य वृद्धी |
48 |
आर्त, अर्थार्थी, जिज्ञासु, मुमुक्षु यांना चारी पुरुषार्थ सिध्दी साठी |
22 |
कर्मदोष निवारण |
49 |
समस्त कर्म-दोषापासून निवृत्ती |
23 |
ऐश्वर्य-प्राप्ति |
50 |
गुरुनिन्दा केल्यामुळे आलेले दारिद्रय दूर होण्यास |
24 |
दांपत्य-सुख |
51 |
जलगंडादिकापासून रक्षण |
25 |
आर्थिक समस्या दूरिकरण |
52 |
सर्व समस्या अप्रयत्नाने दूर होतील |
26 |
दुर्दैव नाश, सत्संतान-प्राप्ति |
53 |
महापाप-ध्वंस होण्यास |
27 |
ऐश्वर्य लक्ष्मी प्राप्ति |
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